रायपुर। नक्सल आतंक के लिए कुख्यात छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में विधानसभा चुनाव के आंकड़ों ने धमाका कर दिया है। आंकड़े वहां लोकतंत्र की नई कहानी सुना रहे हैं। धमकी और नक्सल वारदात के बावजूद धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस बार मतदान के आंकड़े बढ़े हैं।
कोंटा और बीजापुर जैसे अति संवेदनशील विधानसभा सीट पर ढ़ाई से तीन फीसद तक मतदान बढ़ा है। इस बार उन बूथों पर भी जमकर मतदान हुआ है, जहां पहले गिनती के वोट पड़ते थे या एक भी वोट नहीं पड़ता था। वहीं, पहले चरण की 18 सीटों पर मतदान का औसत आंकड़ा 76 फीसद के पार पहुंच गया है।
यह अब तक के इतिहास का सर्वाधिक मतदान है। सोमवार की शाम तक आयोग ने 66 फीसद मतदान की जानकारी दी थी। साथ ही यह भी बताया था कि सुरक्षागत कारणों से 171 दलों को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है। मंगलवार को इन दलों के लौटते ही आंकड़ों ने ऊंचाई छू लिया।
आंकड़ों से कहीं खुशी तो कहीं धड़कन तेज
पहले चरण में बढ़े मतदान से चुनाव आयोग के अफसर उत्साहित हैं। उन्हें लग रहा है कि यह मतदान को लेकर चलाए गए जागस्र्कता अभियान का असर है। इसके विपरीत मतदान के इस प्रतिशत ने राजनीतिक दलों की धड़कन तेज कर दी है।
मतदान के औसत आंकड़े में अभी भी बदलाव की संभावना बनी हुई है। हालांकि यह बढ़ोतरी एक फीसद से भी कम की होगी। अफसरों ने इसकी वजह बताया कि कुछ मतदान दल अभी नहीं लौटे हैं।
दूरस्थ क्षेत्र के सात मतदान दलों का आना बाकी
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के अफसरों ने बताया कि सुकमा जिले में दूरस्थ क्षेत्रों में मतदान कराने गई सात टीमें अभी नहीं लौटी हैं। अफसरों ने बताया कि फोर्स के साथ पूरी टीम सुरक्षित है। उन्हें सुरक्षागत कारणों से सावधानी से लाया जा रहा है। बुधवार तक उनके मुख्यालय लौट आने की संभावना है।
उत्साहजन आंकड़े
पहले चरण के मतदान के आंकड़े उत्साहजनक हैं। मतदान को बढ़ावा देने के लिए आयोग की तरफ से जागस्र्कता अभियान लगातार चलाया जा रहा था। इसके साथ ही फोर्स की तैनाती कर वोटरों को सुरक्षा का माहौल दिया गया। सुरक्षित माहौल व जागरूकता का ही यह असर है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी मतदान का स्तर बढ़ा है। |